Social Media : सिख पंथ में कैसे फैलाया अलगाववाद ? कैसे किया सिखों को हिन्दुओं से अलग ? मौलाना की बेटी ने किया नूपुर शर्मा का समर्थन...


आज के चुनिंदा पोस्ट्स, ट्वीट्स, वीडियो, कमेंट्स, वायरल...202206012   
- सिख पंथ में अलगाववाद कैसे फैला, कैसे किया सिखों को हिन्दुओं से अलग
- पैसे की ताकत या करोड़ों के विज्ञापन का चमत्कार...
- उन्हें आप . . . . . . . बना दो, लेकिन...
- नूपुर पर हल्ला मचाने वालों, इस #रामी का बयान भी सुनें...
- मौलाना की बेटी ने किया नूपुर शर्मा का समर्थन बताया मजहब की
- रियलिटी शो, करोड़ों के सेटअप = गाँव का चूल्हा, गरीबी, सच्चाई
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- #सोशल_मीडिया ट्रेंड... 
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सिख पंथ में अलगाववाद कैसे फैलाया गया ? 
कैसे किया सिखों को हिन्दुओं से अलग  
सिख , हिन्दू नहीं होते है , इस फर्ज़ीवाड़े को सबसे पहले गढ़ने वाला मैक्स आर्थर मेकलीफ़ ( Max Arthur Macauliffe) था। यह गुरुमुखी का विद्वान भी था, जिसने Guru Granth Sahib का English translation भी किया था । Max Arthur Macauliffe जिसे सिख पंथ को एक धार्मिक संस्था का रूप दिया, का हिन्दुइस्म (Hinduism) के विषय में क्या विचार थे, आप भी ध्यान से पढ़ें-

It (Hinduism) is like the boa constrictor of the Indian forests. When a petty enemy appears to worry it, it winds round its opponent, crushes it in its folds, and finally causes it to disappear in its capacious interior....Hinduism has embraced Sikhism in its folds; the still comparatively young religion is making a vigorous struggle for life, but its ultimate destruction is, it is apprehended, inevitable without State support.
अर्थात (उक्त पंक्तियों का हिंदी अनुवाद), यह (हिंदू धर्म) भारतीय जंगलों का Boa Constrictor (उष्ण कटिबंधीय अमेरिका का एक बड़ा और शक्तिशाली सर्प, कभी-कभी बीस या तीस फुट लंबा) की तरह है। जब एक छोटा विरोधी इसकी चिंता करता प्रतीत होता है, तो यह अपने प्रतिद्वंद्वी के चारों ओर घूमता है, इसे अपने लपेटे में ले लेता है और आखिरकार इसे अपने विशालता में गायब कर देता है... हिंदू धर्म ने सिख धर्म को अपने लपेटे में लिया है; अभी भी तुलनात्मक रूप से यह युवा धर्म जीवन के लिए एक सशक्त संघर्ष कर रहा है, लेकिन इसका अंतिम विनाश यह है कि इसे राज्य समर्थन के बिना अपरिहार्य माना जाता है।

Max Arthur Macauliffe : (Courtsey Wikipedia)
Max Arthur Macauliffe 1864 में इंडियन सिविल सर्विसेज से पंजाब में आया था। 1882 में ये पंजाब का डिप्टी कमीशनर बना। 
मेकलीफ़ वो पहला व्यक्ति था, जिसने "सिख हिन्दू नहीं है" कि परिकल्पना की थी। उसने देखा, सिख एक मार्शल कौम है। इसलिए सिख आर्मी के लिए उपयुक्त है।
इसलिए उसने पंजाब मे आर्मी की नौकरी में सिखों के लिए आरक्षण लागू कर दिया। जिसके परिणाम स्वरूप कोई भी रामकुमार या श्यामलाल सरकारी नौकरी नही पा सकता था पर वही राम कुमार या श्यामलाल दाड़ी-मूछ और पगडी रखकर राम सिंह या श्यामलाल बनकर नौकरी पा सकता था। उस समय तक इसे धर्म परिवर्तन नहीं माना जाता था।

इसका परिणाम ये हुआ, कि पंजाब मे सिख जनसंख्या-
1881 से 1891 के बीच 8.5% बढी।
1891 से 1901 के बीच 14% बढी।
1901 से 1911 के बीच 37% बढी।
1911 से 1921 के बीच 8% बढी।
इनके पंजाबी के ट्यूटर थे, Kahn Singh Nabha जिन्होंने 1889 मे "हम हिन्दू नहीं" नामक पुस्तक लिखी । जिसको Macauliffe जी ने फंड किया ।

1909 मे खुद Macauliffe साहब ने भी Sikh religion: Its Gurus, Sacred writings, and authors नामक पुस्तक लिखी । जिसकी भूमिका में इन्होंने ये भी बताया है कि किस तरह इन्होंने खालसा पूजा पद्यति आरम्भ की और सिखो के लिए आर्मी में अलग शपथ परम्परा की शुरुआत की ।

इस समय तक गुरूद्वारो (दरबार) महंतो और साधुओं की देखरेख मे होते थे। गुरूद्वारो के लिए महंतो और हिन्दू पुरोहित की जगह खालसा सिखों की प्रबंधक कमेटी का विचार भी इन्हीं का था। इन गुरूद्वारो से जुड़ी हुई जमीन और सम्पत्ति भी थी।

1920 के शुरूआत से महंतों से गुरूद्वारों को छीनने का अकाली दल का सिलसिला चालू हुआ। इसके लिए महंतो पर तरह-तरह के आरोप लगाकर ( महिलाओ से दुष्कर्म, गलत कर्मकांड आदि) उन्हे बदनाम किया गया, जनता मे उनके खिलाफ छवि बनाई गयी।

सबसे पहले बाबे दी बेर गुरूद्वारा, सियालकोट जो एक महंत की विधवा की देखरेख मे था, बलपूर्वक कब्जा किया गया। फिर हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) छीना गया। फिर गुरूद्वारा पंजा साहिब कब्जाया गया। इसका कब्जे के विरोध 5-6 हजार लोगो ने गुरूद्वारा घेर लिया जिन्हे पुलिस ने बलपूर्वक हटाया। फिर गुरूद्वारा सच्चा सौदा, गुरूद्वारा तरन तारन साहिब आदि महंतो पर आरोप लगा पुलिस के सहयोग से कब्जाये गये। इन कब्जो के लिए महंतो को पीटा गया उनकी हत्यारे की गई। जिसके लिए बाकायदा "बब्बर अकाली" नामक दल का गठन कर मूवमेंट चलाया गया।

ननकाना साहिब गुरूद्वारे पर कब्जा सबसे अधिक बडा खूनी इतिहास है। जिसमें दोनों के कई सैकड़ों लोग तक मारे गए। फिर गुरूद्वारा गंजसर नाभा और कई अन्य हिसंक तरीके एवं पुलिस के सहयोग से महंतो से छीने गये।

सन 1925 मे सिख गुरूद्वारा बिल पारित हुआ और कानून बना कर गुरूद्वारो के कब्जे खालसा सिखो को दिये गये। SGPC (शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी) का गठन हुआ। फिर एक रेहता मर्यादा बनाई गई, जो तय करती है कि कौन सिख है और कौन नही। जिसका पूर्णरूपेण उद्देश्य सिख से हिन्दू विघटन निकाला है। SGPC के तत्वावधान में सिख इतिहास को नये सिरे से लिखा गया। हिन्दू परछाई को को सिख में से जितना हो सके, अलग किया गया। नये-नये हिन्दू ( खासकर ब्राह्मण) विलेन कैरेक्टर सिख इतिहास में घड़े गए।

पंजाबी में पारसी भाषा के शब्दो का अधिकधिक प्रयोग किया गया। गंगू बामन और स्वर्ण मंदिर की नीव मुसलमान के हाथों रखवाना, जिसका इससे पहले कोई प्रमाण और इतिहास नही है, गढ़े गए और इनका प्रचार किया गया।

गुरू गोविंद सिंह जी की वाणी दशम ग्रंथ में "चंडी दी वार" और "विचित्र नाटक" को इसमे ब्राह्मणी मिलावट घोषित किया गया। हकीकत राय, सति दास, मति दास, भाई दयाल आदि के बलिदानों को सिखों के बलिदान बताकर प्रचारित किया गया, जबकि इनके वंशज तो आज की तारीख में भी हिन्दू है। बंदा बहादुर जिनका उस समय तक खालसा बनाकर विरोध किया गया और मुग़लों से मिलकर मिलकर उसे पकड़वाया गया, SGPC आज उसे सिख हीरो के रूप में बताती है।

श्री निर्मला अखाडा, जो कि गुरू गोविंद सिंह जी का ही डाला हुआ है और संस्कृत एवं वेदांत के प्रचार प्रसार को समर्पित है, हिन्दू विरोध की खातिर इस तक को SGPC ने सिख इतिहास से नकार दिया।
गुरू नानक जी के पुत्र थे- श्रीचंद्र, जो कि अपने समय के महानतम और प्रसिद्ध योगी थे, ने उदासीन पंथ की स्थापना की थी और आज भी प्रमुख 13 अखाड़ों में- "श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन" है।

गुरू राम राय, जो गुरु हर राय के बड़े पुत्र थे, ने देहरादून मे अपनी गद्दी स्थापित की। इनकी जगह इनके छोटे भाई कृष्ण राय ने पिता की गद्दी सम्भाली और अगले सिख गुरू कहलाये।

ये सभी अखाड़े आज भी महंतों  द्वारा परंपरानुसार संचालित है, समाज सेवा में है। "आनंद मैरिज एक्ट" पास कर सिखों के लिए अलग से विवाह पद्धति आरम्भ की गई। अन्यथा 1920 से पहले तक तो हिन्दू पुरोहित ही सिख घरों में विवाह आदि वैदिक संस्कार करवाने जाते थे।

Max Arthur Macauliffe की नीति, जिससे एक अलग खालसा सिख पंथ की नीव पड़ी, की परिणति खालिस्तान आन्दोलन के रूप में सामने आई। बब्बर खालसा उग्रवादियों ने करीब 50 हजार निरपराध हिन्दुओं की हत्या कर दी। अवसरवादी राजनीती के चलते इन हत्याओं को इस देश ने भुला दिया।

सिखों का पवित्र धार्मिक ग्रन्थ है- "गुरु ग्रन्थ साहिब" इसको आप पढ़ेंगे और देखेंगे तो इसमें "हरी" शब्द 8 हज़ार से भी अधिक बार प्रयोग (इस्तेमाल) किया गया है, वहीँ "राम" शब्द 2500 से अधिक बार, जबकि "वाहेगुरु" शब्द मात्र 17 बार
 गुरु ग्रन्थ साहिब को ही अब सिखों का गुरु माना जाता है, चूँकि सिख के आखिरी गुरु गोबिंद सिंह ने इसे ही आगे के लिए गुरु घोषित किया था।

गुरु गोविन्द सिंह का तो नाम भी "गोविन्द है" और "सिंह" हिन्दू उपनाम है, जो सिख समूह के बनने से पहले से ही हिन्दू प्रयोग करते आये है। खालिस्तानी वो लोग हैं, जो श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में दर्ज हिंदुओं की वाणी (बानी) के बावजूद अपने ही धर्म ग्रन्थ को झुठला कर कहते हैं कि "यह वो राम, वो कृष्णा, वो जगदीश" नहीं हैं। अपने ही दसवें गुरु के लिखे चण्डी दी वार "चढ़ मैदान चण्डी महिषासुर नु मारे" को झुठलाते हैं। "देव शिवा वर मोहे इहे" को झुठलाते हैं। लाखों खालिस्तानी है आज, इनका पूरा गैंग सक्रिय है, कनाडा, ब्रिटेन जैसे देशों में तो इनका पूरा गैंग ही सक्रिय है और पाकिस्तान से इनकी बड़ी मित्रता है


ये हिन्दुओ को गाली देते है। ये हिन्दुओ की ही संतान, इन सभी के पूर्वज हिन्दू ही थे, स्वयं नानक भी पैदा होते हुए हिन्दू थे
। उनके पिता का नाम कालू चंद (कालू, कल्याण मेहता) था। और ये खालिस्तानी हिन्दुओ को गाली देते है, इन खालिस्तानियों को औरंगजेब और पाकिस्तान प्यारा है।
आईये... इस अलगववदवादी मानसिकता से बचें। एकता में ही शक्ति है। यह सन्देश स्मरण करे।

सलंग्न चित्र-पाकिस्तान में स्थित एक गुरूद्वारे का है जिसमें पाकिस्तान सरकार ने एक इस्लामिक स्कूल में परिवर्तित कर दिया। - लेख साभार (लेख में तथ्य सिख विद्वानों, श्री निर्मल अखाड़े के महंतों, ग्रंथी साहिबान से चर्चा कर लिखा गया है. फिर भी लेख शत प्रतिशत या अक्षरशः सत्य है, ऐसा हम दावा नहीं करते -संपादक "धर्म नगरी" / DNNews
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पैसे की ताकत या करोड़ों के विज्ञापन का चमत्कार...
देखिए, किसी भी टीवी चैनल पर यह खबर नहीं आई...  
आम आदमी पार्टी हरियाणा की कार्पोरेटर- निशा सिंह, जिनको दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की दूसरी पत्नी के रूप में भी जाना जाता है,
दंगों की प्लानिंग करने, साजिश रचने, दंगे भड़का कर चुनाव जीतने की प्लानिंग करने तथा सरकारी अधिकारियों और आम लोगों पर दंगे और आगजनी के दोष मढ़ने के मामलों में अदालत द्वारा दोषी पाया गया
और..
उसे 7 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है! 
निशा सिंह के बचाव में आम आदमी पार्टी की तरफ से धुरंधर वकील लगाए गए थे, लेकिन सबूत इतने ज्यादा और ठोस थे, कि उन्हें भी यह मानना पड़ा कि निशा सिंह दोषी है !

अब आप जरा निशा सिंह का इतिहास देख लीजिए...
निशा सिंह ने मुंबई यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की डिग्री ली, उसके बाद उन्होंने लंदन स्कूल आफ इकोनॉमिक्स से एमबीए किया ! इन्होंने गूगल और सीमेंस जैसी मल्टीनेशनल कंपनियों में बड़े पद पर काम किया। फिर भारत वापस आ गई और शादीशुदा मनीष सिसोदिया से प्यार हो गया, गुप्त रूप से मंदिर में संजय सिंह और केजरीवाल को साक्षी मानकर विवाह किया,

इसीलिए निशा सिंह को मनीष सिसोदिया के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया ताकि दोनों बिना किसी शक सुबहा के साथ रहना एंजॉय कर सकें..! फिर निशा के मन में भी नेता बनने का सुलेमानी कीड़ा कुलबुलाने लगा और आम आदमी पार्टी के टिकट पर कार्पोरेटर बन गई. कॉरपोरेटर बनने के बाद इनके मन में विधायक बनने का रहमानी कीड़ा कुलबुलाने लगा ! 

फिर इन्होंने विधायक बनने के लिए अपने इलाके में दंगा भड़काने की प्लानिंग रची,,
लेकिन पुलिस की मुस्तैदी से दंगा भड़क नहीं पाया, सिर्फ पत्थरबाजी और छोटी मोटी आगजनी हुई जिसे कंट्रोल कर लिया गया... कई पुलिसकर्मियों को चोटें आईं. इनकी कॉल रिकॉर्डिंग,, कॉल डिटेल,, और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक एविडेंसेस के साथ ही 30 गवाहों के बयान के आधार पर इन्हें दोषी पाया गया...! 
दुःखद और अफसोस, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से यह खबर पूरी तरह गायब रही,
क्योंकि,
केजरीवाल आज विश्व का सबसे बड़ा विज्ञापनदाता है और कोई भी टीवी चैनल केजरीवाल जैसे विज्ञापनदाता को खोना नहीं चाहता...

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Disclaimer : अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत हमारा संविधान हमे अपनी बात या पक्ष कहने की अनुमति देता है इस कॉलम "आज के चुनिंदा पोस्ट्स, ट्वीट्स, कमेंट्स..." में कमेंट व पोस्ट SOCIAL MEDIA से ली गई है, यह जरूरी नहीं की सभी पोस्ट या पोस्ट की जानकारी अक्षरशः सत्य हों, हम यथासंभव हर पोस्ट की सत्यता परख कर इस कॉलम में लेते हैं, फिर भी हम सभी पोस्ट एवं उनकी सभी तथ्यों से पूर्ण सहमत नहीं हैं -सम्पादक 
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उन्हें आप . . . .  . . बना दो, लेकिन... 
उन्हें आप उपराष्ट्रपति बना दो... वे हामिद अंसारी बनकर गद्दारी करेंगे,
उन्हें आप CM बना दो, वे फारूख अब्दुल्ला बनकर गद्दारी करेंगे,
उन्हें IAS बना दो, वे जकात फाउंडेशन बनाकर UPSC जिहाद करेंगे,
उन्हें आप CA बना दो, वे याकूब मेमन बनकर लोगों को मारेंगे,
उन्हें आप MBBS पढ़ा दो, तो वे अफजल गुरु बन जाएंगे।
उन्हें आप नेता बनाओ, तो वे ओवेसी बनकर केवल मुस्लिम हित की बात करेगे।
उन्हें आप फ़िल्म कलाकार बनाओ, तो वो नसीरुद्दीन शाह, आमिर खान, शाहरुख खान बनकर देश में डर का माहौल बतायेगे।

उनके पास कितनी ही दौलत आ जाए, वे चाहे कितना ही पढ़ लिख जाएं, चाहे न्यूक्लियर साइंटिस्ट बन जाएं या IT प्रोफेशनल, लेकिन सब कुछ होने पर भी वे "शरिया" की ही बात करेंगे,
यानि 
लोगों पर 1400 साल पुराना शरिया कानून थोपने की बात ही करेंगे।
आप चाहे जो कर लें, लेकिन वे आपको काफ़िर ही कहेंगे और आपको समाप्त करने की साजिशें ही करेंगे।
कश्मीर में तो वे सरेआम कहते थे- 
आप चाहे सोने की सड़कें बिछा दें, हम जिहाद नहीं छोड़ेंगे।
सबकुछ लुटवा-पिटवाकर कश्मीर से निकाला गया। एक भी हिन्दू आतंकवादी नहीं बनता।
लेकिन हिन्दुओं का सबकुछ लूटने वालों का मन अब भी नहीं भरा, आज भी वहाँ के कीड़े-मकोड़े आतंकवादी बनकर हमारी सेना को मार रहे हैं।
असल बात ये है, उन्हें कोई कन्फ्यूजन नहीं, उनके फंडे क्लियर हैं, कि उन्हें पूरी दुनियां को इस्लामी बनाना है।

कन्फ्यूजन तो आपको है, आप उनमें इंसान और इंसानियत ढूंढते फिरते हैं।
और हाँ, आप खुद के लिये कोई भी हों...  
उनके लिए बस एक काफ़िर ही हो !
#ABNetwork (अखण्ड भारत नेटवर्क- गैर-राजनीतिक प्रखर राष्ट्रवादी नेटवर्क, आने वाली हिन्दू पीढ़ी एवं राष्ट्र की सुरक्षा अखण्डता के लिए) संगठन नहीं, स्वस्फूर्त नेटवर्क।
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संबधित कॉलम : इसे भी पढ़ें / देखें / सुनें- 
सप्ताह का एक दिन हो पत्थर वार...! पूरे देश में गिरफ्तार किए दंगाइयों के...
http://www.dharmnagari.com/2022/06/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-Saturday-11-June.html
कानपुर दंगा / नुपुर शर्मा केस : वामपंथी चतुर है, मजहबी उन्मादी सक्रिय है या कुछ हिंदू मूर्ख ?
http://www.dharmnagari.com/2022/06/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-Wednesday-08-June.html
पैगम्बर साहब पर टिप्पणी, इस्लामिक पेट्रो डिप्लोमेसी, भारत का रूस से तेल आयात...
http://www.dharmnagari.com/2022/06/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-Wednesday-08-June.html
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नूपुर पर हल्ला मचाने वालों... इस #रामी का बयान भी सुनें...   
नूपुर शर्मा के बयान को धर्म विरोधी बताकर उस पर हो हल्ला मचाने वालो को इस #रामी का बयान भी सुन कर प्रतिक्रिया देनी चाहिये...
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मौलाना की बेटी ने किया नूपुर शर्मा का समर्थन 
बताया मजहब की सच्चाई nupur sharma bjp and gyanvapi shiv
सुनें- 

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तब क्यों नहीं कोई #फतवा मकबूल हुसैन के खिलाफ जारी हुआ ?
बड़े कलाकार थे मकबूल फिदा हुसैन !
उनकी बनाई पेंटिंग्स दुनियाभर में हाई सर्किल में बिकती थी !
#यूरोप,#अमेरिका ,#ब्रिटेन और #अरब देशों में बड़े अमीर ही नहीं,नामी गिरामी होटल उनके खरीदार थे !
उस जमाने में उनकी #पेंटिंग्स दो से पांच करोड़ रु के बीच बिका करती थी !
क्या आप जानते हैं चित्रों में उनके प्रिय विषय क्या थे ?
#हिंदू #देवी #देवता !
जब उन्होंने #सरस्वती और #लक्ष्मी की #निर्वस्त्र #पेंटिंग्स बनाई तो भारत में गहरी #नाराजगी व्यक्त की गई ! बहरहाल कोई #फतवा जारी नहीं हुआ,परंतु शायद उन्हें खुद इतनी #ग्लानि हुई कि वे भारत छोड़कर #कतर जा बसे !
#कतर ने तब भारत से कोई #नाराजगी व्यक्त नहीं की, न ही एमएफ हुसैन को #भला #बुरा कहा !
वक्त वक्त की बात है ?

एमएफ हुसैन चित्रकार थे और उस जमाने की सबसे बड़ी एक्ट्रेस #माधुरी #दीक्षित के दीवाने थे। 
दीवानगी इस कदर थी कि कि चित्रकारी छोड़कर माधुरी दीक्षित को लेकर गजगामिनी नाम से फिल्म बनाई। हुसैन से प्रेरणा लेकर दुनिया के कईं #ब्रांड्स ने #अंडर #गारमेंट्स पर #दुर्गा,#गणेश ,#महादेव और देवी #देवताओं के चित्र छापने शुरू कर दिए । 

आश्चर्य तब हुआ जब भारत के एक बेशर्म व्यवसाई ने #गणेश छाप चप्पल, कच्छे और बनियान बाजार में उतार दिए। अलबत्ता जनाक्रोश के कारण भारत में तो ऐसे वस्त्र बनना बंद हो गए, विदेशों में तत्कालीन भारत सरकारों ने कोई प्रतिवाद नहीं किया । वह तब भी गलत था , 
आज भी गलत है । किंतु गणेश छाप बीड़ी तब भी आती थी, आज भी आती है ।

धार्मिक प्रतीकों का दुरुपयोग कहीं भी हो, बुरा लगता है। हिंदू समाज ने आसाराम बापू, राम रहीम, रामपाल आदि के जेल जाने पर विरोध नहीं जताया, न ही आसमान सिर पर उठाया। 
द्वारिका में जाकर कृष्ण को अपमानित करने वाले, रामकथाओं में डम-डम डिगा डिगा और मेरे मौला मेरे मौला गाने वाले मुरारी बापू को हिंदू समाज ने सूली पर नहीं चढ़ा दिया, आज भी वे कथाएं कर रहे हैं। 

सनातन हिंदू धर्म ने बौद्ध धर्म के प्रवर्तक बुद्ध को भी अवतारों में शामिल कर लिया और चार्वाक को भी ऋषि माना । हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी देवता हैं , 
जो चाहे जिसे पूजे । शैव , वैष्णव , उदासी , निर्मले, कबीरदासी, घीसपंथी, रैदासी, जैन, सिक्ख आदि न जानें कितने संप्रदाय हैं हिंदू धर्म के। 
सबकी अपनी मान्यताएं हैं, अपने सिद्धांत हैं । 
यहां तो पीर पैगंबरों, दरगाहों और मजारों का भी सम्मान होता आया है। दुनिया में सर्वधर्म समभाव का उद्घोष करने वाला भारतवर्ष अकेला देश है।

सद्भावनाओं का इम्तिहान मत लीजिए, 
सम्मान कीजिए। भारत के आज के साथ अतीत चल रहा है, उसे जुदा नहीं किया जा सकता। 
हिंदू मुस्लिम सब जानते हैं कि हिंदुओं के लिए अयोध्या मथुरा काशी का क्या मतलब है। तो फिर कोई सर्वे का विरोध करेगा या संभावित शिवलिंग की तुलना मानव लिंग से करेगा तो क्या यह आग भड़काना नहीं है ? समभाव का ठेका अकेले हिंदुओं के पास नहीं , मुसलमानों को भी ताली बजाने के लिए दूसरा हाथ बढ़ाना पड़ेगा। 

हम जानते हैं कि हमारे जिले में स्थित पिरान कलियर शरीफ में कितने हिन्दू चादर चढ़ाने जाते हैं । 
मजारों और अजमेर की दरगाह में कितने हिन्दू जाते हैं। क्या हिंदुओं की कोई एक भी जगह है , 
जहां मुस्लिम जाते हों ? जी नहीं। हमें बचपन की याद है कि गुघाल मेले में गोगावीर पर प्रसाद और पंखे चढ़ने सैकड़ों मुस्लिम जाते थे। आज एक भी नहीं जाता, 
मेले में बाजार लगाने अनगिनत जाते हैं।  भारत जैसे विविधता वाले देश में धैर्य से काम लीजिए । 
आपस में  दुश्मनी निभाने से काम नहीं  चलेगा। जब साथ रहना है तो सोचिए, तौलिए और फिर बोलिए। 
और हां, सम्मान चाहते हैं तो सम्मान देना भी सीखिए ? #साभार 

रियलिटी शो, करोड़ों के सेटअप = गाँव का चूल्हा, गरीबी, सच्चाई 
किशोर कुमार और लता मंगेशकर द्वारा गाए इस गाने को कितनी सुंदरता से गाया है इस ग्रामीण अंचल की महिला ने...
रियलिटी शो के लाखों करोड़ों के सेट-अप, साजिन्दों का जमावड़ा, शो-बाजी, मेहनताने के बदले नकली हँसते, मुस्कुराते जज... 
इधर चूल्हा, गरीबी, सच्चाई के पार्श्व मे ये गायन आपका दिल निकाल देगा... 
सुनें-
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#सोशल_मीडिया ट्रेंड... 
भारत को एकबार फिर दुनिया में बदनाम करने, छवि को गलत ढंग से प्रस्तुत करते हुए धूमिल किया जा रहा है. देश को लोग बदनाम कर रहे हैं, जिनकों पाकिस्तान में होना चाहिए था, क्योंकि 1947 में मजहब के आधार पर ही मुसलमानों को पूरा पाकिस्तान दे दिया गया. फिर भी मुसलमान क्यों भारत में रह रहे हैं, जब वो समझते हैं सुरक्षित नहीं हैं, जबकि आज अधिकांशतः हिन्दुओं के टैक्स से #India में मुसलमान बहुत तेजी से आबादी बढ़ाते ही जा रहे हैं, तमाम सरकारी और प्रशासनिक सुविधाएं FREE में ले रहे हैं, जिन सुविधा को हिन्दुओं एवं अन्य गैर-मुसलमानों को मिलना चाहिए। अब केवल दुनियाभर के हिन्दू संगठित होकर ही इसका मुहतोड़ जवाब दे सकते हैं...
     
-All those who are supporting #AfreenFatima are no less then anti-social elements. 
Listen to her views on terrorist afzal guru 
#RadicalIslamicTerrorist 
#stonepelting #Prayagraj -@upwala_bhaiya
Listen baseless & false allegations-
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