Social Media : उद्धव-शिंदे युद्ध में पवार की भूमिका सक्रिय क्यों है ? अटल जी ने सुनाई थी दर्दनाक दास्तां...


अटल बिहारी ने सुनाई थी दर्दनाक दास्तां... इस नागरिक ने ये भी... 
- राजनितिक ज्ञान की बातें, सोशल मीडिया से... 
- राहुल गांधी के दफ्तर में तोडफ़ोड़ के विरोध में कांग्रेस का राष्ट्रव्यापी आंदोलन क्यों नहीं हुआ ?
- The great finisher... Congress & Rahul Gandhi
- वह तो मोदी पर महाकाल बाबा की कृपा थी जो वह कांग्रेस की...
- जिहादी क#वे को तगड़ा मुक्का...
ये हुआ तो क्या होगा, वो हुआ तो क्या होगा ! जिसे सरकार बनानी है बना लें, मोटा भाई को
पढ़ें / देखें #सोशल_मीडिया की कुछ चुनिंदा प्रतिक्रिया... to be updated later 
.धर्म नगरी / DN News
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उद्धव-शिंदे युद्ध में पवार की भूमिका सक्रिय क्यों है ?
पवार उद्धव सरकार क्यों बचाना चाहते हैं ? इसके निम्न 10 मुख्य कारण लगते हैं- 
१. अगर महा वसूली सरकार गई तो अनिल देशमुख, नवाब मलिक कारागृह मे ही रह जाएंगे ।
२. उनके जेल में रहने का अर्थ है एनसीपी के कई और जेल जाएँगे।
३. सुशांत सिंह की हत्या के आरोप में पेंगुइन गिरफ्तार हो सकता है।
४. अनिल परब, संजय राउत भी गिरफ्तार हो सकते हैं।
५. परमबीर सिंह सुशांत सिंह की हत्या के राज खोल सकता है।
६. सचिन वज़े निडर होकर विस्फोटक रखने की सच्चाई उगल सकता है।
७. सच्चाई बाहर आते ही कई और गिरफ्तार होंगे।
८. उद्धव का साला भी गिरफ्तार हो जाएगा।
९. महाराष्ट्र स्टेट कॉ ऑ बैंक घोटाले में अजित पवार का भी नम्बर लग जायेगा।
१०. किरीट सोमैया द्वारा दायर जमीन खरीदने मे काले धन के पेमेंट पर रश्मि ठाकरे की जमीन जब्ती की कार्रवाई हो सकती है...
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अटल बिहारी ने सुनाई दर्दनाक दास्तां... इस महिला ने ... 
#आपातकाल: एक्ट्रेस स्नेहलता को 8 महीने जेल में बिना कपड़ो के रखा, हर रोज पिटाई वो भी पुरुषों से! जेल से निकले के 5 दिन बाद ही मृत्यु हो गई, ये झेला है देश ने।
अटल बिहारी वाजपेयी ने सुनाई थी दर्दनाक दास्तां...
स्नेहालता रेड्डी बेहिसाब अत्याचार केवल इसलिए किए गए, क्योंकि वह बड़े समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस की मित्र थीं, जिन्हें इमरजेंसी के समय पुलिस पकड़ने की कोशिश में थी। वो दिन था 25 जून 1975, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी को घोषणा की 25 और 26 जून 1975 की रात. इंदिरा गांधी के आदेश पर राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के दस्तखत के साथ देश में आपातकाल लागू हो गया था। यह इमरजेंसी 21 मार्च 1977 को खत्म हुई। 19 महीने तक देश में इमरजेंसी लगी रही। 19 महीनों में लाखों को जेल हुई और बेवजह यातनाएं दी गईं।

आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसी ही अभिनेत्री स्नेहालता रेड्डी के बारे में जिनका कसूर कुछ नहीं था, लेकिन उन्हें महंगा पड़ा एक राजनेता से दोस्ती करना। एक्ट्रेस पर बेहिसाब अत्याचार केवल इसलिए किए गए क्योंकि वह बड़े समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस की मित्र थीं जिन्हें इमरजेंसी के समय पुलिस पकड़ने की कोशिश में थी।

कौन थीं स्नेहालता रेड्डी ?
स्नेहलता एक एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री, निर्माता और सामाजिक कार्यकर्ता थीं, जिन्हें कन्नड़ सिनेमा , कन्नड़ थिएटर, तेलुगु सिनेमा और तेलुगु थिएटर में उनके कामों के लिए जाना जाता है। स्नेहलता का जन्म 1932 में आंध्र प्रदेश राज्य में ईसाई धर्मान्तरित लोगों के घर हुआ था। उन्होंने औपनिवेशिक शासन का कड़ा विरोध किया था। उन्होंने अंग्रेजों से इस हद तक नाराजगी जताई थी कि वह अपने भारतीय नाम पर लौट आई और केवल भारतीय कपड़े पहनती थीं। स्नेहलता का विवाह कवि, गणितज्ञ और फिल्म निर्देशक पट्टाभि रामा रेड्डी से हुआ था। दंपति प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और कार्यकर्ता डॉ. राम मनोहर लोहिया के लिए समर्पित थे।

स्नेहलता पर आरोप लगाए गए थे कि वह डाइनामाइट से दिल्ली में संसद भवन और अन्य मुख्य इमारतों को धमाका कर उड़ाना चाहती थीं। हालाँकि आखिर में इनमें से कोई भी आरोप साबित नहीं हुआ। लेकिन ‘मैंनेटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट’ के तहत स्नेहलता की कैद जारी रही। मीसा एक्ट वही एक्ट है जिसके तहत आपातकाल में सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां हुई थी।

स्नेहलता को जेल में बंद किया गया तो वह एक ऐसी कोठरी में थी, जिसमें सिर्फ एक ही व्यक्ति रह पाए। उस कोठरी में पेशाबघर की जगह पर कोने में एक छेद बना हुआ था और दूसरे छोर पर लोहे का एक जालीदार दरवाजा लगा हुआ था।

स्नेहलता ने कारावास के समय कई रातें फर्श पर सोकर गुजारीं। पूरे 8 महिने तक एक फेक केस में स्नेहलता को असीम प्रताड़नाएं दी जाती रहीं। जेल में उनके बगल की कोठरी में बंद किए गए अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी ने बाद में बताया था कि कारावास के समय उन्हें किसी महिला के चीखने की आवाज सुनाई देती थी। बाद में पता चला कि वह कन्नड़ अभिनेत्री स्नेहलता थीं।

एक्ट्रेस स्नेहलता अस्थमा की मरीज थीं इसके बावजूद उन्हें जेल में कठोर सजा दी जा रही थी और उपचार भी नहीं दिया जा रहा था। यह बातें स्वयं स्नेहलता ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के समक्ष रखीं थीं। जेल में तबियत बिगड़ने के कारण 15 जनवरी 1977 को उन्हें पैरोल पर रिहा कर दिया गया था। रिहाई के 5 दिन बाद ही 20 जनवरी को उनकी मृत्यु हो गई।.
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The great finisher... Congress & Rahul Gandhi
इतिहास इस तथ्य को अवश्य दस्तावेज में दर्ज करेगा, कि कई राजनीतिक दल जो अपने नेताओं के जीवन-भर के संघर्ष का प्रतिफलन थे, कैसे राहुल जी के नेतृत्व में कांग्रेस ने उन्हें अपना सहयोग दे कर रसातल में भेज दिया।
The Finishing Touch-
1】BSP+CONGRESS
          Mayawati Finished
【2】SP+CONGRESS
          Akhilesh Yadav Finished
【3】RJD+CONGRESS
          Lalu Prasad Yadav Finished
【4】JDS+CONGRESS
          Kumaraswamy Finished
【5】TDP+CONGRESS
          Chandrababu Naidu Finished
【6】SHIV SENA+CONGRESS
          Uddhav Thackeray Finished ? (Not yet, but enroute)
The Great Finisher....

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वह तो मोदी पर महाकाल बाबा की कृपा थी जो वह कांग्रेस की... 
वह तो नरेंद्र मोदी जी के ऊपर बाबा महाकाल की कृपा थी जो वह कांग्रेस की हर साजिश से बच गए वरना 10 साल सत्ता में रही केंद्र की कांग्रेस सरकार ने मोदी जी को गुजरात में ही घेरने के लिए जिस तरह से संविधान का बलात्कार किया था, न्यायपालिका का बलात्कार किया था, उसका उदाहरण पूरे विश्व में आपको नजर नहीं आएगा

किसी भी राज्य की हाईकोर्ट में जज बनने के लिए दो योग्यताएं होनी जरूरी है- पहली योग्यता- या तो वह किसी हाईकोर्ट में 10 साल तक वकालत की प्रैक्टिस किया हो या फिर वह किसी राज्य का महाधिवक्ता या सहायक महाधिवक्ता हो केंद्र की कांग्रेस सरकार ने हाई कोर्ट के जज के लिए जो दूसरी योग्यता होती है यानी कि वह शख्स जो किसी राज्य का महाधिवक्ता हो उस योग्यता का इस्तेमाल, मोदी को गुजरात में घेरने के लिए किया

लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद में एक नेता हुआ करते थे जिनका नाम था आफताब आलम...
कांग्रेस के इशारे पर लालू प्रसाद यादव ने सारे नियम कानून ताक पर रखकर आफताब आलम को बिहार सरकार का महाधिवक्ता बना दिया और कुछ समय के बाद आफताब आलम को केंद्र की कांग्रेस सरकार के इशारे पर कॉलेजियन ने जस्टिस आफताब आलम बनाकर गुजरात हाई कोर्ट का जज बना दिया

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेसी मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अपनी सगी बेटी अभिलाषा कुमारी को हिमाचल प्रदेश का महाधिवक्ता बना दिया, जबकि नियम और नैतिकता यह है कि कोई भी मुख्यमंत्री अपने बेटे या बेटी को अपने ही राज्य का महाधिवक्ता नहीं बना सकता, और फिर कुछ समय के बाद उस अभिलाषा कुमारी को जस्टिस अभिलाषा कुमारी बनाकर गुजरात हाई कोर्ट में जज बना दिया गया

उत्तर प्रदेश का एक बेहद बदनाम जज था जिसका नाम जस्टिस माथुर था ( राजस्थान के पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर का छोटा भाई), उस जस्टिस माथुर की कहानियां आज भी इलाहाबाद हाईकोर्ट के लोग बताते हैं, उसे भी गुजरात हाई कोर्ट का जज बना कर भेज दिया गया.
उसके बाद केंद्र की कांग्रेस सरकार ने तीस्ता जावेद सीतलवाड़ और शबनम हाशमी जैसे लोगों को खड़ा किया

केंद्र की मनमोहन सरकार ने तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ सबरंग को ८० करोड़ से ज्यादा अनुदान दिया, शबनम हाशमी के एनजीओ को भी ६० करोड़ से ज्यादा अनुदान दिए गए और इस पैसे का उपयोग कानूनी लड़ाई लड़ने और मोदी के खिलाफ माहौल खड़ा करने में किया गया

उस दौरान दिल्ली के सारे के सारे खबरिया चैनल रात दिन बस 2002 के कथित गुजरात दंगों मे मोदी जी को दोषी ठहराने मे लगे रहते थे...। इतना ही नहीं, तीस्ता जावेद सीतलवाड़ और उसका पति जावेद भारत सरकार के पैसे पर दुबई में शराब पीता था और उसका भी बिल भारत सरकार देती थी जो आरटीआई से साबित भी हो गया। 

उसके बाद आश्चर्य यह देखिए, कि जैसे ही तीस्ता सीतलवाड़ और शबनम हाशमी, मोदी के खिलाफ कोई भी याचिका करती, वह याचिका या तो जस्टिस आफताब आलम के बेंच में जाती थी या जस्टिस अभिलाषा कुमारी के बेंच में जाती थी या जस्टिस माथुर के बेंच में जाती थी जबकि गुजरात हाई कोर्ट में तमाम दूसरे जस्टिस के बेंच भी थे पर वहां वो याचिकाएं नहीं जाती थी, उसके बाद जब गुजरात सरकार, गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने लगी तब मनमोहन सरकार के इशारे पर जस्टिस आफताब आलम को प्रमोट करके सुप्रीम कोर्ट का जज बना दिया गया, फिर वहां भी यही होता था कि शबनम हाशमी और तीस्ता जावेद की हर याचिका सिर्फ जस्टिस आफताब आलम के ही बेंच में जाती थी

उसके बाद गुजरात हाई कोर्ट के जज रहे जस्टिस एमबी सोनी ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और राष्ट्रपति को पत्र लिखकर यह कहा कोई भी याचिका सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जाती है, उसके बाद वह एक कंप्यूटराइज्ड तरीके से किसी भी जज की बेंच को जाती है, लेकिन यह कैसे संभव हो रहा है कि गुजरात सरकार और मोदी के खिलाफ जितनी भी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में की जा रही है वह सारी की सारी याचिका जस्टिस आफताब आलम के ही बेंच में क्यों जा रही है...?

इतना ही नहीं, जस्टिस एमबी सोनी ने इन कांग्रेसी जजों के तमाम फैसलों की विस्तृत विवेचना करके भारत के राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट के जज को भेजा और उनसे ही सवाल किया "क्या आपको लगता है कि इन्होंने सही फैसला दिया है...?"

जस्टिस आफताब आलम की सगी बेटी अरुषा आलम तीस्ता सीतलवाड़ की एनजीओ में काम करती थी और तीस्ता सीतलवाड़ की हर याचिका उनके बेंच में जाती थी जबकि नियमानुसार जस्टिस आफताब आलम को तीस्ता सीतलवाड़ की हर याचिका नॉट बिफोर मी कर देना चाहिए था क्योंकि इसमें उनका सीधे-सीधे हितों का टकराव था, लेकिन उल्टे जस्टिस आफताब आलम ने सुप्रीम कोर्ट में रजिस्ट्री में ऐसी व्यवस्था बना दी थी कि तीस्ता सीतलवाड़ की हर याचिका गैरकानूनी तरीके से उनके ही बेंच में जाती थी

"कपिल सिब्बल से जब इस बारे में पत्रकार ने पूछा था तो कपिल सिब्बल जो उस वक्त केंद्र में कानून मंत्री था, माइक पर झटका देकर चला गया थाइनके अलावा, मीडिया में बैठे, कांग्रेस के इशारों पर नाचने वाले, और सोनिया-मनमोहन राज में पद्म अवार्ड पाने वाले, राजदीप सरदेसाई, बरखा दत्त, रविश कुमार, शेखर गुप्ता जैसे लोगों ने मोदी को फंसाने के लिए पूरा माहौल बनाया

सुप्रीम कोर्ट ने भी (24_जून को ) इस बात को ज़ोर देकर कहा कि नेता, एनजीओ, मीडिया ने 20 साल तक मोदी को बर्बाद, बदनाम और खत्म करने की कोशिश की, अब ये सब बन्द होना चाहिए। अब अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने तीस्ता जावेद सीतलवाड़, पूर्व IPS संजीव भट्ट और पूर्व DGP आर बी श्रीकुमार के खिलाफ फर्जी दस्तावेज बनाकर साजिश के तहत गलत प्रोसिडिंग शुरू करवाने का मामला दर्ज किया है

संजीव भट्ट तो पहले से ही आजीवन कारावास की सजा पा रहा है, आरबी श्रीकुमार और तीस्ता जावेद सीतलवाड़ भी संजीव भट्ट के पड़ोसी बनने जा रहे हैं बहुत जल्द ही, इस देश को अपने बाप का माल समझने वाले कांग्रेसियों को भी हिसाब देना शुरू करना होगा।
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Former British Heavyweight champion Julius Francis (who Fought Mike Tyson)
Now working As Security at BOXPARK Wembley
Had some trouble today.
A Muslim guy wanted to do Namaz inside the Wembley Stadium...
After much shouting, arguments and pushing, the guy became violent and started punching security personnel and then just one small punch from Julius ended the matter. 
 _ well well... That answers some question s raised on Agniveers too
जिहादी क#वे को तगड़ा मुक्का...
पूर्व ब्रिटिश हैवीवेट चैंपियन जूलियस फ्रांसिस (जो माइक टायसन से लड़ा था) अब बॉक्सपार्क वेम्बली में सुरक्षा के रूप में काम कर रहा हैं। वेम्बली स्टेडियम के अंदर नमाज पढ़ना चाहता एक जिहादी कटुवा👇👇, आगे क्या हुआ इस वीडियो में देखे...वीडियो 
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राजनितिक ज्ञान की बातें, सोशल मीडिया से... 
- हनुमान चालीसा के विरुद्ध जो भी गया सबका पत्ता कट गया।
ना लाउड स्पीकर रहा, ना सरकार रही, क्योंकि कलियुग में प्रत्यक्ष देव हैं बजरंगबली...!

- कड़वा सत्य-
इतिहास गवाह है, जिसके पास संजय था उसका सर्वनाश जरूर हुआ है

- उद्धव ठाकरे की चार गलतिया- 
  खुद को बाळासाहेब समझना 
  मोदीजीं को = अटलजी समझना 
  पवार को = मित्र समझना 
  राऊत को = चाणक्य=समजना 

 
- भारतीय इतिहास में पहली बार हिंदुत्व के लिए सरकार गिराई जा रही है। क्या मेरा भारत बदल रहा है...? 

-जरा कल्पना करके तो देखिए देश के राष्ट्रपति के रूप में जब ऐसे दृश्य
आदिवासी समाज तक पहुँचेगे तब धर्मान्तरण पर सबसे बड़ी चोट होगी कि नहीं ? 
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राष्ट्रभक्ति : पैसा कमाना है तो दूसरे बहुत से रास्ते हैं, पर वर्दी का... हम भी इनको करते हैं सैलूट 
और इस, क्लास-3 पास 33 साल वाले देशद्रोही की खोपड़ी में गोली मारने का मन करता है 
अग्निपथ योजना के कारण घर घर से "अभिनंदन" निकलेगा
इसलिए घर घर से "अफ़ज़ल" निकालने वाले  घबराये हुए हैं।

द्रोपदी मुर्मू होंगी अगली राष्ट्रपति !
  रामनाथ थे तो राम मंदिर बन गया 
  द्रौपदी जी हैं तो पक्का कृष्ण मंदिर की तैयारी है
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राहुल गांधी के दफ्तर में तोडफ़ोड़ के विरोध में 
कांग्रेस का राष्ट्रव्यापी आंदोलन क्यों नहीं हो रहा ?
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी क्यों नहीं प्रकट किया विरोध ? 
वामपंथियों के खिलाफ बोलने की हिम्मत क्यों नहीं दिखाती कांग्रेस ?
विगत दिनों दिल्ली में जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी से पूछताछ की तो कांग्रेस ने देशभर में धरना प्रदर्शन किया। कांग्रेस शासित दोनों प्रदेशों राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भूपेश बघेल सरकार का कामकाज छोड़ कर दिल्ली आ गए। 
ईडी ने जितने दिन पूछताछ की, उतने दिन कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन जारी रहा। पूछताछ नेशनल हेराल्ड अखबार की 2 हजार करोड़ की संपत्ति के हस्तांतरण में हुई वित्तीय अनियमितताओं को लेकर थी, लेकिन कांग्रेस ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार राहुल गांधी को परेशान कर रही है, लेकिन कांग्रेस राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र वायनाड़ (केरल) के दफ्तर में हुई भीषण तोडफ़ोड़ पर चुप है। यहां तक राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी विरोध नहीं जात रहे हैं, जबकि राहुल के दफ्तर को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया गया। 

24 जून को हुई इस तोडफ़ोड़ के लिए कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने केरल में सत्तारूढ़ मॉक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की छात्रा शाखा एसएफआई के छात्रों को जिम्मेदार ठहराया है। लेकिन कांग्रेस की ओर से केरल में भी कोई बड़ा आंदोलन नहीं किया जा रहा है। सवाल उठता है कि जो कांग्रेस सिर्फ पूछताछ पर देशव्यापी आंदोलन कर सकती है, वह राहुल गांधी के दफ्तर में हुई तोडफ़ोड़ पर चुप क्यों है? क्या केरल में सत्तारूढ़ माकपा के खिलाफ आंदोलन करने की हिम्मत कांग्रेस में नहीं है ? 
यदि यही तोडफ़ोड़ राहुल गांधी के दिल्ली दफ्तर में हो जाती तो कांग्रेस के आंदोलन का अंदाजा लगाया जा सकता है ? क्या कांग्रेस के नेताओं की नजर में राहुल गांधी के दफ्तर में हुई तोडफ़ोड़ कोई मायने नहीं रखती है ? गंभीर बात यह है कि राहुल गांधी वायनाड़ ने से ही सांसद हैं, लेकिन इसके बाद भी केरल के सत्तारूढ़ दल की ओर से दफ्तर में तोडफ़ोड़ कीगई। इस तोडफ़ोड़ के विरोध में अभी राहुल गांधी की भी कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। 

उल्लेखनीय है, कि राहुल गांधी ने लोकसभा का पिछला चुनाव अमेठी (यूपी) के साथ-साथ वायनाड़ (केरल) से भी लड़ा था। अमेठी में राहुल की हार हुई, जबकि वायनाड़ में राहुल विजयी रहे। दफ्तर में ताजा तोडफ़ोड़ से लगता है कि वायनाड़ में भी राहुल का प्रभाव कम हो रहा है। ऐसे में राहुल गांधी 2024 में होने वाला चुनाव कहां से लड़ेंगे ? #S.P.Mittal  

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पैगम्बर साहब पर टिप्पणी, इस्लामिक पेट्रो डिप्लोमेसी, भारत का रूस से तेल आयात...
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सप्ताह का एक दिन हो पत्थर वार...! पूरे देश में गिरफ्तार किए दंगाइयों के...
http://www.dharmnagari.com/2022/06/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-Saturday-11-June.html
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ये हुआ तो क्या होगा, वो हुआ तो क्या होगा ! जिसे सरकार बनानी है बना लें, मोटा भाई को...

राजनीति में कोई शत्रु या मित्र नहीं होता, इसलिए वाणी और क्रिया में सद्भाव और संतुलन को कभी भूलना भी नहीं चाहिए।
दुर्भाग्य से देश की राजनीतिक वाणी और भाव का स्तर तो बहुत ही निकृष्ट हो चुका है।

चिदंबरम जो लंबे समय तक देश के प्रमुख मंत्रालयों के प्रमुख रहे, पर भविष्य में कांग्रेस भी कभी उनका नाम भी नहीं लेगी। 
बात महाराष्ट्र की राजनीतिक उठा पटक की है। मोदी, मोटा भाई टीम, बहुमत पलटते ही जब चाहती गवर्नर से आदेश लगा कर विधान सभा में सरकार बना सकती थी। तो बनाया क्यों नहीं जा रहा ? 
            
ढाई साल पहले बीजेपी से मक्कारी की गई, उद्धव को लालच और अजीत पवार को बीजेपी खेमे में भेजना टेढ़े मुंह वाले की चाल थी,
अब बीजेपी टीम क्रूरता से बदला ले रही है। यहाँ इनका उद्देश्य है उद्धव ठाकरे को सबक सिखाना यह क्रूरता है, निर्ममता है, सारे विश्वासघातियों को भाजपा की सीधी चुनौती है, ये जो गली मुहल्ले में चाणक्य बने घूम रहे है, उनकी गहराई नापी जा रही है, जैसे पहले गाँवों में दुराचारियों और बलात्कारियों को अधगंजा करके मुंह काला करके गधे पर बैठाकर गांव में घुमाते थे ना…!

उद्धव और शरद के साथ यही हो रहा है मोटा भाई इनके अहंकार और इनकी माफिया मानसिकता को गधे पर बैठाकर पूरे गांव में घुमा रहे है इनका तबियत से मान मर्दन कर रहे हैं। आज सारे विधायकों को भाजपा की सदस्यता दे दो, कल भाजपा की सरकार और परसों राजनैतिक संकट समाप्त, पर नहीं करना है समाप्त…!

ये जो टेढ़े मूंह वाला D कंपनी के दम पर महाराष्ट्र का लोकल चाणक्य बना बैठा है, उसे पूरा समय दिया जा रहा है, कि भाई आओ बचा लो अपना नाड़ा खुलने से ! मैंने भाजपा को इतना क्रूर निर्दयी इतना निर्मम इतना बेरहम कभी नहीं देखा अजीत पवार वाला जो खेल शरद पवार ने खेला था वो अपमान मोटा भाई और नरेंद्र भाई भूल नहीं पाये हैं। 

महाराष्ट्र में कुछ घंटों की सरकार बनने से पहले शरद पवार और प्रधानमंत्री मोदी जी के बीच एक मीटिंग हुई थी
और इसी मीटिंग में महाराष्ट्र में भाजपा और NCP की सरकार बननी तैय हुई थी, लेकिन बाद में शरद पवार पलट गए और उद्धव वाली शवसेना कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली। राजनीति में ऐसी गुप्त बातों की एक अलग मर्यादा होती है कोई कभी भी बंद कमरे के राज नहीं खोलता है और बंद कमरे में कोई जबान दी जाती हैं तो उसे निभाया जाता है। पर शरद पवार ने लक्ष्मण रेखा पार की और प्रधानमंत्री स्तर के आदमी के साथ विश्वास घात किया

नरेंद्र मोदी उस समय जहर का घूँट पीकर रह गए "पर वे इस अपमान को नहीं भूलेमोदी टीम महाराष्ट्र में भाजपा सरकार बनाने की जल्दबाजी में बिल्कुल नहीं है वहाँ प्रतिशोध लिया जा रहा है…। महाराष्ट्र में खेल लंबा चल सकता हैं, क्योंकि देर-सबेर वसूली के पैसे से चलने वाली पार्टी अपने चिल्लर समर्थकों को हिंसा के लिए जरूर उकसायेंगे उसी की प्रतीक्षा हो रही है...! 
तभी निर्णायक वार होगा संजय राउत ऐसे रगड़ा जायेगा, जैसे ट्रैक्टर के नीचे कोई पि#ला आ गया हो...!

ये हुआ तो क्या होगा, वो हुआ तो क्या होगा ! जिसे सरकार बनानी है बना लें, मोटा भाई को करनी है उद्धव और पवार की मट्टी-पलीद और वो  ही हो रहा है 21 तारीख से। यह लड़ाई राजनीति से हट कर लड़ी जा रही है, यहाँ अब हार-जीत की भी कोई खास चिंता नहीं है 
तड़पकहीं और है...   
हम आप तो इस खेल के रोमांच का बस आनंद ले सकते हैं...  #साभार Social_Media से                  
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आज पुन्य तिथि है फील्ड मार्शल एस.एच.एफ.जे. मानेक शॉ की 
सैन्य क्रॉस, पद्म विभूषण और पद्म भूषण भारतीय सेना के प्रथम फील्ड मार्शल

सैम होर्मूसजी फ्रेमजी जमशेदजी मानेकशॉ (3अप्रैल 1914 - 27जून 2008 ) भारतीय सेना के अध्यक्ष थे जिनके नेतृत्व में भारत ने सन् 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में विजय प्राप्त किया था जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का जन्म हुआ था।

मानेकशॉ का जन्म 3 अप्रैल 1914 को अमृतसर में एक पारसी परिवार में हुआ था। उनका परिवार गुजरात के शहर वलसाड से पंजाब आ गया था। मानेकशॉ ने प्रारंभिक शिक्षा अमृतसर में पाई, बाद में वे नैनीताल के शेरवुड कॉलेज में दाखिल हो गए। वे देहरादून के इंडियन मिलिट्री एकेडमी के पहले बैच (1932 ) के लिए चुने गए 40 छात्रों में से एक थे। वहां से वे कमीशन प्राप्ति के बाद 1934 में भारतीय सेना में भर्ती हुए।

🇮🇳🥇1937 में एक सार्वजनिक समारोह के लिए लाहौर गए सैम की मुलाकात सिल्लो बोडे से हुई। दो साल की यह दोस्ती 22 अप्रैल 1939 को विवाह में बदल गई। 1969 को उन्हें सेनाध्यक्ष बनाया गया और 1973 में फील्ड मार्शल का सम्मान प्रदान किया गया।

🇮🇳🥇1973 में सेना प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद वे वेलिंगटन, तमिलनाडु में बस गए थे। वृद्धावस्था में उन्हें फेफड़े संबंधी बिमारी हो गई थी और वे कोमा में चले गए। उनकी मृत्यु वेलिंगटन के सैन्य अस्पताल के आईसीयू में 27 जून 2008 को रात 12.30 बजे हुई।*

🥇🇮🇳17वी इंफेंट्री डिवीजन में तैनात सैम ने पहली बार द्वितीय विश्व युद्ध में जंग का स्वाद चखा, 4/12 फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट के कैप्टन के तौर पर बर्मा अभियान के दौरान सेतांग नदी के तट पर जापानियों से लोहा लेते हुए वे गम्भीर रूप से घायल हो गए थे।

स्वस्थ होने पर मानेकशॉ पहले स्टाफ कॉलेज क्वेटा, फिर जनरल स्लिम्स की 14वीं सेना के 12 फ्रंटियर राइफल फोर्स में लेफ्टिनेंट बनकर बर्मा के जंगलों में एक बार फिर जापानियों से दो-दो हाथ करने जा पहुँचे, यहाँ वे भीषण लड़ाई में फिर से बुरी तरह घायल हुए, द्वितीय विश्वयुद्ध खत्म होने के बाद सैम को स्टॉफ आफिसर बनाकर जापानियों के आत्मसमर्पण के लिए इंडो-चाइना भेजा गया जहां उन्होंने लगभग 10000 युद्ध बंदियों के पुनर्वास में अपना योगदान दिया।

1946 में वे फर्स्ट ग्रेड स्टॉफ ऑफिसर बनकर मिलिट्री आपरेशंस डायरेक्ट्रेट में सेवारत रहे, भारत के विभाजन के बाद 1947-48 की भारत-पाकिस्तान युद्ध 1947 की लड़ाई में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत की आजादी के बाद गोरखों की कमान संभालने वाले वे पहले भारतीय अधिकारी थे। गोरखों ने ही उन्हें सैम बहादुर के नाम से सबसे पहले पुकारना शुरू किया था। तरक्की की सीढ़ियाँ चढ़ते हुए सैम को नागालैंड समस्या को सुलझाने के अविस्मरणीय योगदान के लिए 1968 में पद्मभूषण से नवाजा गया।

7 जून 1969 को सैम मानेकशॉ ने जनरल कुमारमंगलम के बाद भारत के 8वें चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ का पद ग्रहण किया, उनके इतने सालों के अनुभव के इम्तिहान की घड़ी तब आई जब हजारों शरणार्थियों के जत्थे पूर्वी पाकिस्तान से भारत आने लगे और युद्घ अवश्यंभावी हो गया, दिसम्बर 1971 में यह आशंका सत्य सिद्घ हुई, सैम के युद्घ कौशल के सामने पाकिस्तान की करारी हार हुई तथा बांग्लादेश का निर्माण हुआ, उनके देशप्रेम व देश के प्रति निस्वार्थ सेवा के चलते उन्हें 1972 में पद्मविभूषण तथा 1 जनवरी 1973 को फील्ड मार्शल के पद से अलंकृत किया गया। चार दशकों तक देश की सेवा करने के बाद सैम बहादुर 15 जनवरी 1973 को फील्ड मार्शल के पद से सेवानिवृत्त हुए।

मानेकशॉ खुलकर अपनी बात कहने वालों में से थे। उन्होंने एक बार तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को 'मैडम' कहने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि यह संबोधन 'एक खास वर्ग' के लिए होता है। मानेकशॉ ने कहा, वह उन्हें प्रधानमंत्री ही कहेगे।

सैम मानेकशॉ को उनकी सेवाओं तथा वीरता के लिए सैन्य क्रॉस, पद्म भूषण तथा पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।
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