जापान के पूर्व PM शिंजो आबे को कैमरे की शक्ल वाली गन से मारी गोली, पहली नहीं दूसरी गोली लगी जब वह पीछे मुड़े
- जापान में हो रहे उच्च सदन के चुनाव के लिए कैंपेनिंग कर रहे थे आबे
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जापान के पूर्व PM शिंजो आबे, हमले के बाद घटनास्थल का दृश्य (दाएं) |
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जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे पर हमला हुआ है। उन्हें गोली मारी गई है। शिंजो आबे पश्चिमी जापान के नारा शहर में भाषण दे रहे थे, इसी दौरान उन पर हमला हुआ। उनके सीने में गोली लगी है। गोली लगते ही वह सड़क पर गिर गए। उनके शरीर से खून निकल रहा था। जापान में दमकल अधिकारी ने बताया, कि गोली लगने के बाद शिंजो आबे को विमान से अस्पताल ले जाते समय उनकी सांस नहीं चल रही थी, हृदय गति रुक गयी थी। वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आबे अत्यंत गंभीर रूप से घायल हैं। संदिग्ध हमलावर को सुरक्षाकर्मियों ने घटनास्थल से पकड़ लिया गया।
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कैमरे जैसा दिखने वाली गन जिससे शिंजो आबे पर गोली मारी गई Closer look of the weapon used |
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गोली लगने के पश्चात सड़क पर गिरे पूर्व प्रधानमंत्री |
राष्ट्रपति ने कहा, श्री शिंजो एक महान राजनेता थे और वे इतने मिलनसार थे कि दुनियाभर में उन्हें पसंद किया जाता था। उनका निधन पूरी मानवता के लिए एक त्रासदी है।
उपराष्ट्रपति ने कहा, श्री शिंजो आबे ने भारत-जापान संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (8 जुलाई) नई दिल्ली में एक समारोह में कहा कि वे इस घटना से स्तब्ध हैं। उन्होंने कहा-
"...आज का दिन मेरे लिए अपूर्णीय क्षति और असहनीय पीडा का दिन है। मेरे घनिष्ठ मित्र और जापान के पूर्व प्रधानमंत्री श्री शिंजो आबे अब हमारे बीच नहीं रहे हैं। आबे जी मेरे तो साथी थे ही वो भारत के भी उतने ही विश्वसनीय दोस्त थे। उनके कार्यकाल में भारत-जापान में उनके जो राजनीतिक संबंध थे हमारे, उनको नई ऊंचाई तो मिली ही, हमने दोनों देशों की साझी विरासत से जुडे रिश्तों को भी खूब आगे बढाया। आज भारत की विकास की जो गति है, जापान के सहयोग से हमारे यहां जो कार्य हो रहे हैं, इनके जरिए शिंजो आबे जी भारत के जन-मन में सालों तक बसे रहेंगे। मैं एक बार फिर दु:खी मन से मेरे दोस्त को श्रद्धांजलि देता हूं।"
श्री मोदी ने बताया, कि श्री आबे के सम्मान में कल (9 जुलाई) भारत में एक दिन का राष्ट्रीय शोक रखा जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कई वर्षों में गुजरात के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान से ही उनके श्री आबे के साथ गहरे संबंध रहे और प्रधानमंत्री बनने के बाद भी यह मित्रता जारी रही है। श्री मोदी ने कहा कि अर्थव्यवस्था और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में श्री आबे की गहरी समझ ने उन्हें प्रभावित किया।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, कि भारत-जापान संबंधों को मजबूत करने के श्री आबे के प्रयास सदैव याद किए जाएंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने एक करीबी मित्र खो दिया है और श्री आबे को उनकी कूटनीति के लिए सदैव याद किया जाएगा। सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, श्री आबे भारत के सच्चे मित्र थे और दुनिया ने एक लोकप्रिय राजनेता को खो दिया।

आज उनके साथ बिताया हर पल मुझे याद आ रहा है। चाहे वो क्योटो में ‘तोज़ी टेंपल’ की यात्रा हो, शिंकासेन में साथ-साथ सफर का आनंद हो, अहमदाबाद में साबरमती आश्रम जाना हो, काशी में गंगा आरती का आध्यात्मिक अवसर हो या फिर टोक्यो की ‘टी सेरेमनी’, यादगार पलों की ये लिस्ट बहुत लंबी है।
आबे सान से मिलना हमेशा ही मेरे लिए बहुत ज्ञानवर्धक, बहुत ही उत्साहित करने वाला होता था। उनके पास हमेशा नए आइडियाज का भंडार होता था। इसका दायरा गवर्नेंस और इकॉनॉमी से लेकर कल्चर और विदेश नीति तक बहुत ही व्यापक था। वे इन सभी मुद्दों की गहरी समझ रखते थे।
भारत और जापान के बीच सामरिक साझेदारी को लेकर उनके साथ काम करना भी मेरे लिए सौभाग्य की बात थी। इसके जरिए इस दिशा में अभूतपूर्व बदलाव देखने को मिला।
पहले जहां दोनों देशों के आपसी रिश्ते केवल आर्थिक संबंध तक सीमित थे, वहीं आबे सान इसे व्यापक विस्तार देने के लिए आगे बढ़े। इससे दोनों देशों के बीच राष्ट्रीय महत्त्व के मुद्दों पर न केवल तालमेल बढ़ा, बल्कि पूरे क्षेत्र की सुरक्षा को भी नया बल मिला।
वे मानते थे कि भारत और जापान के आपसी रिश्तों की मजबूती, न सिर्फ दोनों देशों के लोगों, बल्कि पूरी दुनिया के हित में है। वे भारत के साथ सिविल न्यूक्लियर एग्रीमेंट के लिए दृढ़ थे, जबकि उनके देश के लिए ये काफी मुश्किल काम था। भारत में हाई स्पीड रेल के लिए हुए समझौते को बेहद उदार रखने में भी उन्होंने निर्णायक भूमिका निभाई। न्यू इंडिया तेजी से विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है, तो उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि जापान कंधे से कंधा मिलाकर हर कदम पर भारत के साथ खड़ा रहेगा। भारत की आजादी के बाद इस सबसे महत्वपूर्ण कालखंड में उनका यह योगदान बेहद अहम है।
भारत -जापान संबंधों को मजबूती देने में उन्होंने ऐतिहासिक योगदान दिया, जिसके लिए वर्ष 2021 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
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आबे सान को दुनियाभर की उथलपुथल और तेजी से हो रहे बदलावों की गहरी समझ थी। उनमें दूरदर्शिता भरी थी और यही वजह थी कि वे वैश्विक घटनाक्रमों का राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर होने वाला प्रभाव, पहले ही भांप लेते थे। ये समझ कि किन विकल्पों को चुनना है, किस तरह के स्पष्ट और साहसिक फैसले लेने हैं, समझौतों की बात हो या फिर अपने लोगों और दुनिया को साथ लेकर चलने की बात, उनकी बुद्धिमत्ता का हर कोई कायल था। उनकी दूरगामी नीतियों – आबेनॉमिक्स - ने जापानी अर्थव्यवस्था को फिर से मजबूत किया और अपने देश के लोगों में इनोवेशन और आंत्रप्रन्योरशिप की भावना को नई ऊर्जा दी।
उन्होंने जो मजबूत विरासत हम लोगों के लिए छोड़ी है, उसके लिए पूरी दुनिया हमेशा उनकी ऋणी रहेगी। उन्होंने पूरे विश्व में बदलती परिस्थितियों को न केवल सही समय पर पहचाना, बल्कि अपने नेतृत्व में उसके अनुरूप समाधान भी दिया।
भारतीय संसद में वर्ष 2007 के अपने संबोधन में उन्होंने इंडो-पेसिफिक क्षेत्र के उदय की नींव रखी, साथ ही ये विजन प्रस्तुत किया कि किस प्रकार ये क्षेत्र इस सदी में राजनीतिक, रणनीतिक और आर्थिक रूप से पूरी दुनिया को एक नया आकार देने वाला है।
इसके साथ ही वे इसकी रूपरेखा तैयार करने में भी आगे रहे। उन्होंने इसमें स्थायित्व और सुरक्षा के साथ शांत और समृद्ध भविष्य का एक ऐसा दृष्टिकोण अपनाया, जिसमें वे अटूट विश्वास रखते थे। ये उन मूल्यों पर आधारित था, जिसमें संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता सर्वोपरि थी। इसमें अंतर्राष्ट्रीय कानूनों-नियमों और बराबरी के स्तर पर शांतिपूर्ण वैश्विक संबंधों पर भी जोर था। इसमें आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देकर हर किसी के लिए समृद्धि के द्वार खोलने का अवसर था।
चाहे Quad हो या ASEAN के नेतृत्व वाला मंच, इंडो पेसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव हो या फिर एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर या Coalition for Disaster Resilient Infrastructure, उनके योगदान से इन सभी संगठनों को लाभ पहुंचा है। इंडो-पेसिफिक क्षेत्र में उन्होंने घरेलू चुनौतियों और दुनियाभर के संदेहों को पीछे छोड़कर, शांतिपूर्ण तरीके से डिफेंस, कनेक्टिविटी, इंफ्रास्ट्रक्चर और सस्टेनेबिलिटी समेत जापान के सामरिक जुड़ाव में आमूलचूल परिवर्तन लाने का काम किया है। उनके इसी प्रयास के कारण यह पूरा क्षेत्र आज बहुत आशान्वित है और पूरा विश्व अपने भविष्य को लेकर कहीं अधिक आश्वस्त है।
मुझे इसी वर्ष मई में जापान यात्रा के दौरान आबे सान से मिलने का अवसर मिला। उन्होंने उसी समय जापान-इंडिया एसोसिएशन के अध्यक्ष का पदभार संभाला था। उस समय भी वे अपने कार्यों को लेकर पहले की तरह ही उत्साहित थे, उनका करिश्माई व्यक्तित्व हर किसी को आकर्षित करने वाला था। उनकी हाजिरजवाबी देखते ही बनती थी। उनके पास भारत-जापान मैत्री को और मजबूत बनाने को लेकर कई नए आइडियाज थे। उस दिन जब मैं उनसे मिलकर निकला, तब यह कल्पना भी नहीं की जा सकती थी कि हमारी यह आखिरी मुलाकात होगी।
वह हमेशा अपनी आत्मीयता, बुद्धिमत्ता, व्यक्तित्व की गंभीरता, अपनी सादगी, अपनी मित्रता, अपने सुझावों, अपने मार्गदर्शन के लिए बहुत याद आएंगे।
उनका जाना हम भारतीयों के लिए भी ठीक उसी प्रकार दुखी करने वाला है, मानो घर का कोई अपना चला गया हो। भारतीयों के प्रति उनकी जो प्रगाढ़ भावना थी, ऐसे में भारतवासियों का दुखी होना बहुत स्वभाविक है। वे अपने आखिरी समय तक अपने प्रिय मिशन में लगे रहे और लोगों को प्रेरित करते रहे। आज वे भले ही हमारे बीच में न हों, लेकिन उनकी विरासत हमें हमेशा उनकी याद दिलाएगी।
मैं भारत के लोगों की तरफ से और अपनी ओर से जापान के लोगों को, विशेषकर श्रीमती अकी आबे और उनके परिवार के प्रति हार्दिक संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।
ओम शांति!
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Local police saying that Abe was shot with a modified pistol/handgun. |
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