#शारदीय_नवरात्र : तृतीया : माँ चन्द्रघंटा की पूजा से मिलती है दु:खों , कष्टों से मुक्ति, मिलता है मोक्ष
माँ चन्द्रघंटा का मंत्र, पूजा, दान, आरती...
तृतीया की पूजा- दूध का महत्व होता है। माता की पूजा में विशेष रूप से दूध का उपयोग करें। फिर उस दूध को किसी ब्राह्मण को दान कर दें। दूध का दान दुःखों से मुक्ति का परम साधन है।
धर्म नगरी / DN News
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नवरात्रि की तृतीया (तीसरे दिन) को मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना होती है। इस दिन विधि-विधान के साथ मां चंद्रघंटा की पूजा और आरती की जाती है.मां की पूजा के बाद आरती अवश्य करें. मान्यता है कि कोई भी पूजा तभी पूर्ण मानी जाती है, जब आरती की जाती है।
धार्मिक मान्यता है, आरती करने से व्यक्ति के कष्ट दूर होते हैं और व्यक्ति को सुखों की प्राप्ति होती है. कहते हैं कि मां चंद्रघंटा पापों का नाश और राक्षसों का वध करती हैं। माँ हाथों में तलवार, त्रिशूल, धनुष और गदा लिए होती है। माता के सिर पर अर्धचंद्र घंटे के आकार में विराजमान होता है।इसलिए मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप को चंद्रघंटा नाम दिया गया है। आज मां की पूजा के बाद ये आरती और मंत्र जाप (यथासंभव) अवश्य करें।
मां चंद्रघंटा की आरती-
नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा का ध्यान।
मस्तक पर है अर्ध चंद्र, मंद मंद मुस्कान।।
दस हाथों में अस्त्र शस्त्र रखे खडग संग बांद।
घंटे के शब्द से हरती दुष्ट के प्राण।।
सिंह वाहिनी दुर्गा का चमके स्वर्ण शरीर।
करती विपदा शांति हरे भक्त की पीर।।
मधुर वाणी को बोल कर सबको देती ज्ञान।
भव सागर में फंसा हूं मैं, करो मेरा कल्याण।।
नवरात्रों की मां, कृपा कर दो मां।
जय मां चंद्रघंटा, जय मां चंद्रघंटा।।
मां चंद्रघंटा के मंत्र-
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
On 3th day of Navratri, devotees worship Mata Chandraghanta. It is customary to offer milk and food items made from milk to Mata Chandraghanta to get rid of suffering.
- Maa Chandraghanta is the third reincarnation of goddess Durga
- During Navratri, worship Maa Chandraghanta for knowledge and bliss
- If milk or items made of milk are offered to Goddess on the third day of Navratri, suffering ends
Maa Chandraghanta is the third reincarnation of Goddess Durga. She represents knowledge, justice and bliss. Maa Chandraghanta spells doom for enemies but is loving and compassionate for the devotees. She is known to be the married form of Maa Parvati who started wearing half-moon after her marriage to Lord Shiva. She has got Chandramauli Shivji as her husband. She came to be known as Chandraghanta because her forehead is decorated with a crescent moon, which forms the shape of a bell.
Her third eye is considered to be open all the time. This means she is ready to battle the demons. Maa Chandr aghanta is usually portrayed with ten hands who has Trishul, Gada, Sword, and Kamandal in her four left hands and her fifth left hand is in Varada Mudra. In the rest of her four hands she carries a lotus flower, an Arrow, a Dhanush and Japa Mala and keeps the fifth right hand in Abhaya Mudra.
During the worship of Maa, chant-
ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥
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नवरात्रि की तृतीया (तीसरे दिन) को मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना होती है। इस दिन विधि-विधान के साथ मां चंद्रघंटा की पूजा और आरती की जाती है.मां की पूजा के बाद आरती अवश्य करें. मान्यता है कि कोई भी पूजा तभी पूर्ण मानी जाती है, जब आरती की जाती है।
धार्मिक मान्यता है, आरती करने से व्यक्ति के कष्ट दूर होते हैं और व्यक्ति को सुखों की प्राप्ति होती है. कहते हैं कि मां चंद्रघंटा पापों का नाश और राक्षसों का वध करती हैं। माँ हाथों में तलवार, त्रिशूल, धनुष और गदा लिए होती है। माता के सिर पर अर्धचंद्र घंटे के आकार में विराजमान होता है।इसलिए मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप को चंद्रघंटा नाम दिया गया है। आज मां की पूजा के बाद ये आरती और मंत्र जाप (यथासंभव) अवश्य करें।
मां चंद्रघंटा की आरती-
नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा का ध्यान।
मस्तक पर है अर्ध चंद्र, मंद मंद मुस्कान।।
दस हाथों में अस्त्र शस्त्र रखे खडग संग बांद।
घंटे के शब्द से हरती दुष्ट के प्राण।।
सिंह वाहिनी दुर्गा का चमके स्वर्ण शरीर।
करती विपदा शांति हरे भक्त की पीर।।
मधुर वाणी को बोल कर सबको देती ज्ञान।
भव सागर में फंसा हूं मैं, करो मेरा कल्याण।।
नवरात्रों की मां, कृपा कर दो मां।
जय मां चंद्रघंटा, जय मां चंद्रघंटा।।
मां चंद्रघंटा के मंत्र-
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
On 3th day of Navratri, devotees worship Mata Chandraghanta. It is customary to offer milk and food items made from milk to Mata Chandraghanta to get rid of suffering.
- Maa Chandraghanta is the third reincarnation of goddess Durga
- During Navratri, worship Maa Chandraghanta for knowledge and bliss
- If milk or items made of milk are offered to Goddess on the third day of Navratri, suffering ends
Maa Chandraghanta is the third reincarnation of Goddess Durga. She represents knowledge, justice and bliss. Maa Chandraghanta spells doom for enemies but is loving and compassionate for the devotees. She is known to be the married form of Maa Parvati who started wearing half-moon after her marriage to Lord Shiva. She has got Chandramauli Shivji as her husband. She came to be known as Chandraghanta because her forehead is decorated with a crescent moon, which forms the shape of a bell.
Her third eye is considered to be open all the time. This means she is ready to battle the demons. Maa Chandr aghanta is usually portrayed with ten hands who has Trishul, Gada, Sword, and Kamandal in her four left hands and her fifth left hand is in Varada Mudra. In the rest of her four hands she carries a lotus flower, an Arrow, a Dhanush and Japa Mala and keeps the fifth right hand in Abhaya Mudra.
During the worship of Maa, chant-
ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥
(Om Devi Chandraghantayai Namah)
You can even recite a prayer for the goddess-
पिण्डज प्रवरारुढ़ा चण्डकोपास्त्र कैर्युता प्रसादं तनुते मह्यं चंद्र घंष्टेति विश्रुता
You can even recite a prayer for the goddess-
पिण्डज प्रवरारुढ़ा चण्डकोपास्त्र कैर्युता प्रसादं तनुते मह्यं चंद्र घंष्टेति विश्रुता
(Pindaja Pravararudha Chandakopastrakairyuta Prasadam Tanute Mahyam Chandraghanteti Vishruta)
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नवरात्र में आरती और चालीसा का पाठ की केवल परंपरा नहीं, बल्कि आत्मिक शांति और मानसिक संतुलन प्राप्त करने का एक माध्यम है। देवी दुर्गा को समर्पण भाव से आरती के माध्यम से हम आमंत्रित करते हैं, जिससे वातावरण में सकारात्मकता और ऊर्जा का प्रवाह होता है।
माँ दुर्गा चालीसा का पाठ स्मरण कराता है, कि देवी शक्ति, साहस और करुणा का स्वरूप हैं। नकारात्मक विचारों को दूर कर मन को स्थिर करता है। जीवन में आत्मविश्वास बढ़ाता है। नवरात्र में आरती और चालीसा से भक्ति के साथ-साथ जीवन में शक्ति और शुभता का आशीर्वाद मिलता है।
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै,
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी,
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती,
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती .
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे,
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी,
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों,
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता . सुख संपति करता॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी .
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती,
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे,
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।।
दुर्गा जी की आरती : ॐ जय अम्बे गौरी…🌸
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी .
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी .
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै,
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी,
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती,
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती .
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे,
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी,
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों,
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता . सुख संपति करता॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी .
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती,
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे,
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।।
🌸 दुर्गा चालीसा 🌸
॥ दोहा ॥
नित्यानन्द करुणा अम्बे, करुणामयी जय दुर्गे .
जय जगदम्बे दयामयी, जय जय माता भवानी॥
॥ चौपाई ॥
नमो नमो दुर्गे सुख करनी,
नमो नमो अम्बे दुःख हरनी॥
निराकार है ज्योति तुम्हारी,
तिहुँ लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महा विशाल,
नेत्र लाल भृकुटि विकराल॥
रूप मातु को अधिक सुहावे,
दरश करत जन अति सुख पावे॥
तुम संसार शक्ति लै कीना,
पालन हेतु अन्न धन दीना ॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला,
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलय काल सब नाशन हारी,
तुम गौरी शिव-शंकर प्यारी॥
शिव योगी तुमरे गुण गावैं,
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावैं॥
रूप सरस्वती को तुम धारा,
दे सबको ज्ञान प्रकाश हमारा॥
रूप लक्ष्मी का तुमको माना,
धन-वैभव संपत्ति नित आना॥
रूप तुम्हारा सभी जग जाने,
करो कृपा सबके दुःख टालें॥
ध्यान धरे जो नर मन लाई,
पार पावै संकट से भाई॥
जो यह पढ़े दुर्गा चालीसा,
होवे सिद्धि साखी गौरीसा॥
॥ दोहा ॥
नित्यानन्द करुणा अम्बे, करुणामयी जय दुर्गे .
जय जगदम्बे दयामयी, जय जय माता भवानी॥
॥ चौपाई ॥
नमो नमो दुर्गे सुख करनी,
नमो नमो अम्बे दुःख हरनी॥
निराकार है ज्योति तुम्हारी,
तिहुँ लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महा विशाल,
नेत्र लाल भृकुटि विकराल॥
रूप मातु को अधिक सुहावे,
दरश करत जन अति सुख पावे॥
तुम संसार शक्ति लै कीना,
पालन हेतु अन्न धन दीना ॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला,
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलय काल सब नाशन हारी,
तुम गौरी शिव-शंकर प्यारी॥
शिव योगी तुमरे गुण गावैं,
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावैं॥
रूप सरस्वती को तुम धारा,
दे सबको ज्ञान प्रकाश हमारा॥
रूप लक्ष्मी का तुमको माना,
धन-वैभव संपत्ति नित आना॥
रूप तुम्हारा सभी जग जाने,
करो कृपा सबके दुःख टालें॥
ध्यान धरे जो नर मन लाई,
पार पावै संकट से भाई॥
जो यह पढ़े दुर्गा चालीसा,
होवे सिद्धि साखी गौरीसा॥
॥ दोहा ॥
दुर्गा चालीसा जो कोई गावे,
सकल मनोरथ सिद्धि पावे॥
जयति जयति जगदम्ब भवानी,
तुम सम हित कोई नहीं दान॥
दुर्गा चालीसा जो कोई गावे,
सकल मनोरथ सिद्धि पावे॥
जयति जयति जगदम्ब भवानी,
तुम सम हित कोई नहीं दान॥


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