नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली : यम देव के साथ 14 दीया जलाना शुभ, नरक चतुर्दशी पर क्या करें ? सभी कार्यों को सिद्ध करने व...


...मनोकामना पूर्ति करने वाला सर्वार्थसिद्धि योग सायंकाल 5:49 बजे से 

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संगमलाल त्रिपाठी "आजाद"

नरक चतुर्दशी को जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक माँ काली, हनुमानजी और यम देवता की पूजा रात्रि के प्रहर में करने से उनकी संकटों से रक्षा होती हैं, नकारात्मकता को दूर करते हैं, उनके आशीर्वाद से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। नरक चतुर्दशी या नरका चौदस अथवा छोटी दीपावली को प्रदोष काल में यम देवता के लिए दीया जलाने के साथ 14 दीया जलाना शुभ माना गया है, जिसे घर के विभिन्न स्थानों- छत, आंगन, बालकनी, दरवाजे के बाहर आदि जगह पर रखना चाहिए। छोटी दीपावली के दिन सरसों के तेल का दीया  या दीपक जलाना चाहिए।

नरक चतुर्दशी तिथि  
चतुर्दशी तिथि 19 अक्टूबर 2025 (रविवार) दोपहर 1:51 बजे आरम्भ होगी एवं 20 अक्टूबर दोपहर 3:44 बजे तिथि समाप्त होगी। विशेष- स्थानीय समयानुसार तिथि के प्रारंभ और अंत के समय में 2 से 5 मिनट की घट-बढ़ रह सकती है।

नरक चतुर्दशी मुहूर्त
विजय मुहूर्त- अपराह्न 2:07 से 02:53 तक,
गोधूलि मुहूर्त- सायंकाल 5:58 से 6:23 तक,
अमृतसिद्धि योग- सायंकाल 5:49 से 20 अक्टूबर प्रातः 6:29 तक रहेगा (इस योग में नरक चतुर्दशी का अभ्यंग स्नान कर सकते हैं)।

सर्वार्थसिद्धि योग- 19 अक्टूबर सायंकाल 5:49 बजे से 20 अक्टूबर प्रातःकाल 6:29 तक सर्वार्थ-सिद्धि योग रहेगा। यह योग सभी कार्यों को सिद्ध करने और मनोकामनाओं को पूरा करने वाला माना जाता है। इस योग में की गई पूजा, खरीदारी और नए कार्यों को आरंभ करना बहुत शुभ माना जाता है।

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नरक चतुर्दशी पर दीपक जलाने का मुहूर्त  
पंचांग के अनुसार, नरक चतुर्दशी (19 अक्टूबर, 2025) को गोधूलि मुहूर्त सायंकाल 5:47 बजे से 6:13 बजे तक रहेगा। संध्याकाल में 5:47 से 7:03 बजे के मध्य काल दीपदान के लिए उचित रहेगा। पंच-महापर्व का दूसरा दिन- छोटी दीपावली भारतीय परंपरा में अत्यंत पवित्र माना जाता है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को पड़ने वाले छोटी दीपावली का महत्व दीपावली जितना ही है, क्योंकि यह दिन अंधकार पर प्रकाश और पाप पर पुण्य की विजय का प्रतीक है।

छोटी दीपावली पर इन मंत्रों का करें जाप  
अभ्यंग स्नान- 
अभ्यंगं कुर्वे प्रात: नरकप्राप्तये सदा। 
दामोदरप्रीतये च स्नानं में भवतु सिद्धिदम्।।
भगवान गणेश- ॐ गं गणपतये नमः
माता लक्ष्मी जी- ॐ महालक्ष्म्यै नमः
रामभक्त हनुमान जी- ॐ हं हनुमते नमः
यम दीपदान का मंत्र-
मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन श्यामया सह। 
त्रयोदशी  दीपदानात्  सूर्यजः  प्रीयतां मम।।

सर्वार्थ सिद्धि योग में नरक चतुर्दशी
नरक चतुर्दशी को पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग है। सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए कार्य सफल होते हैं। यह एक शुभ योग है। नरक चतुर्दशी पर अमृत सिद्धि योग सायंकाल 5:49 बजे से अगले दिन 20 अक्टूबर (सोमवार) सुबह 6:25 बजे तक है। उस दिन इंद्र योग भी प्रात:काल से लेकर देर रात 02:05 ए एम तक है। उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र प्रात:काल से लेकर शाम 05 बजकर 49 मिनट तक है, उसके बाद से हस्त नक्षत्र है।

आज करें ये उपाय
छोटी दीपावली के दिन गाय के गोबर से बनाए हुए दीये जलाने की परंपरा है। मान्यतानुसार, इस उपाय को करने से यम की यातना से मुक्ति मिलती है।साथ ही यम देवता के लिए उनके मंत्र का जप करते हुए चार बाती वाला दीया प्रदोष काल में जलाना चाहिए। मान्यता है, इस उपाय को करने से व्यक्ति को यम और प्रेत बाधा का भय नहीं रहता है। दीपावली में यम देवता का पूजा विशेष रूप से होता है। उल्लेखनीय है, दीपावली के पांच पर्वों में नरक चतुर्दशी सहित भैया-दूज का पर्व भी यम देवता और यमुना माता से जुड़ा हुआ है।

दीपावली में दीये का महत्व

बड़ी दीपावली की तुलना में 
छोटी दीपावली को घरों में जो दीपमालिकाएं बनाई जाती हैं, वो कुछ छोटी होती हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार, छोटी दीपावली के दिन जलाए जाने वाले दीये नकारात्मकता को दूर करके सकारात्मकता लाते हैं। छोटी दीपावली पर जलाए जाने वाले ये दीये इस पर्व की पवित्रता के प्रतीक हैं।

छोटी दीपावली मनाने का कारण
पौराणिक कथा के अनुसार, नरकासुर नामक दैत्य अत्यंत बलशाली और अहंकारी था। उसने अपनी शक्ति के घमंड में 16 हजार से अधिक कन्याओं को कैद कर रखा था और देवताओं तक को आतंकित कर दिया था। जब उसके अत्याचार बढ़ गए, तब भगवान श्रीकृष्ण ने माता सत्यभामा के सहयोग से नरकासुर का वध किया। यह युद्ध कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन हुआ और इसी दिन नरकासुर का अंत हुआ। इसलिए इस तिथि को ‘नरक चतुर्दशी’ कहा जाने लगा।

क्यों मनाते हैं रूप चौदस ?

भगवान श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर के वध के बाद जब वे स्नान कर लौटे, तब उनके शरीर पर तेल और धूल लगी हुई थी। उन्होंने स्नान किया और अपने शरीर पर उबटन लगाया। तभी से इस दिन अभ्यंग स्नान और उबटन लगाने की परंपरा चली आ रही है। माना जाता है कि इस दिन तेल मालिश और स्नान करने से शरीर की शुद्धि होती है, मन पवित्र होता है और व्यक्ति के जीवन से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। इस कारण नरक चतुर्दशी को रूप चौदस भी कहते हैं।
नरक चतुर्दशी पर क्या करें ?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नरक चतुर्दशी के दिन प्रातःकाल स्नान करने, दीपदान करने और यमराज की पूजा करने से पापों का नाश होता है और अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। इस दिन शाम को घर के द्वार पर दीप जलाने का भी विशेष महत्व है, क्योंकि यह दीप नरक और अंधकार से मुक्ति का प्रतीक माना जाता है।

छोटी दिवाली का एक और पहलू यह है, कि यह दीपावली की पूर्व संध्या होती है। इस दिन घर की सफाई, साज-सज्जा और पूजा की तैयारी पूरी कर ली जाती है। कुछ स्थानों पर लोग इस दिन भूत प्रेत और नकारात्मक शक्तियों से बचाव के लिए दीप जलाते हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा का स्वागत करते हैं।

धनतेरस पर सोने का मूल्य
पिछली दीपावली यानी अक्टूबर 2024 में 24 कैरेट सोने की कीमत ₹ 79,681 प्रति 10 ग्राम थी। इस दीपावली अक्टूबर 2025 तक सोने की कीमत बढ़कर ₹1,14,314 प्रति 10 ग्राम हो गई है। यानी सोना एक साल में 43.46% महंगा हो चुका है। 

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लेखक- 
संगमलाल त्रिपाठी "आजाद" 
निदेशक- संवाद मीडिया, नई दिल्ली 
(संपर्क- 9212093511) 
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