नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली : अकाल मृत्यु से मुक्ति व पितरों का आशीर्वाद पाने का दिन, रात के...
...प्रहर में माँ काली व हनुमानजी की करें पूजा
- नरक चतुर्दशी पर करते हैं यमराज, श्रीकृष्ण, माता काली माता, भगवान शिव, हनुमानजी और विष्णुजी के वामन रूप की विशेष पूजा
धर्म नगरी / DN News
(न्यूज़, कवरेज, शुभकामना या विज्ञापन देने एवं फ्री कॉपी मंगवाने हेतु वाट्सएप- 8109107075) राजेश पाठक (अवैतनिक संपादक)
यम दीपक का समय, यमराज और नर्क का संबंध
रूप चुतर्दशी के दिन विशेषरूप से यमराज की पूजा की जाती है। मान्यता है, इस दिन घर के मुख्य द्वार पर यम के नाम का दीपक जलाया जाता है और ऐसा करने से परिवार में अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने वाले को सभी तरह के पापों से और साथ ही नर्क से भी मुक्ति मिल जाती है।
नरक चतुर्दशी पर प्रदोष काल या संध्या के समय यम दीपक जलाई जाती है। अकाल मृत्यु से मुक्ति और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए नरक चतुर्दशी का पूजन किया जाता है। "यम के लिए दीपक" अर्थात यमराज के लिए तेल का चौमुखा दीपक जलाते हैं और उसे घर से दक्षिण दिशा में रखते हैं। कई स्थानों पर यम के दीपक को नाली के निकट या घर के मुख्य द्वार के पास दक्षिण दिशा में रखते हैं।
रूप चौदस, उबटन व अभ्यंग स्नान
नरक चतुर्दशी या रूप चौदस के दिन रूप निखारा जाता है, जिसके लिए सूर्योदय से पूर्व स्नान की परंपरा है। नरक चतुर्दशी पर सूर्योदय के पूर्व शरीर पर उबटन लगाकर स्नान करने की प्रक्रिया को अभ्यंग स्नान कहा जाता है। अभ्यंग स्नान के लिए उदया तिथि महत्वपूर्ण मानी जाती है। नरक चतुर्दशी के अभ्यंग स्नान का मुहूर्त 1 घंटा 12 मिनट (सोमवार, 20 अक्टूबर) तक है, जो सुबह 5:13 बजे से 6:25 बजे के बीच रहेगा। इस दिन चंद्रोदय सुबह 5:13 बजे होगा। स्नान के दिन ब्रह्म-मुहूर्त 4:44 बजे से 5:34 बजे तक है। वहीं, शुभ समय अर्थात अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:43 बजे से दोपहर 12:28 बजे तक है।
उल्लेखनीय है, नरक चतुर्दशी का अभ्यंग स्नान तब होता है, जब तिथि के समय सूर्योदय हो रहा हो। इसलिए उदयातिथि के अनुसार इसका स्नान 20 अक्टूबर, 2025 (सोमवार) को होगा। अभ्यंग स्नान 20 अक्टूबर को सूर्योदय से पहले होगा।
काली चौदस पूजा मुहूर्त
काली चौदस (11 नवंबर) की रात में माँ काली की पूजा करते हैं। उनकी कृपा से नकारात्मकता दूर होती है। काली चौदस पर पूजा का मुहूर्त रात्रि में होता है। काली पूजा माँ काली को समर्पित प्रसिद्ध हिंदू त्यौहार बड़े भव्य एवं धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार विशेषकर पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आस-पास के पूर्वी राज्यों में मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार यह पर्व कार्तिक माह में आता है। काली पूजा अमावस्या की रात को होती है, जहां माँ काली की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन शुभ मुहूर्त में विशेष मंत्रों के जाप के साथ पूजा होती है।
काली पूजा-2025 : तिथि व शुभ मुहूर्त
काली पूजा की तिथि- मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025
अमावस्या तिथि प्रारंभ- 21 अक्टूबर को सुबह 6:29 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त- 22 अक्टूबर को सुबह 4:55 बजे
काली पूजा निशिता काल मुहूर्त- रात 11:55 बजे से 12:44 बजे तक (21 अक्टूबर की रात से 22 अक्टूबर की भोर तक)
पूजा का महत्व, भोग और प्रसाद
प्राचीन मान्यता है, कि माँ काली की पूजा करने से भय, रोग या रुग्णता और दुर्भाग्य दूर हो जाते हैं। यह पूजा आत्मबल बढ़ाने, शत्रु बाधा नाश करने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने का प्रतीक मानी जाती है।दीपावली की रात, जब पूरा देश लक्ष्मी पूजन करता है, बंगाल में माँ काली का पूजन किया जाता है। माँ काली को प्रसन्न करने के लिए भक्त तांत्रिक विधियों से विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।
काली पूजा में मां काली को विशेष प्रकार का भोग अर्पित किया जाता है, जिसमें मांसाहारी व्यंजन जैसे- मटन, मछली आदि शामिल होते हैं। इसके अलावा, मीठे पकवान जैसे- पेयश और अन्य बंगाली मिठाइयां भी अर्पित की जाती हैं। भोग अर्पित करने के बाद, प्रसाद के रूप में इन व्यंजनों का वितरण किया जाता है।
काली चौदस को करें विशेष उपाय
व्यवसाय में बाधा
काली चौदस की रात्रि को एक पीले कपड़े में हल्दी, 11 गोमती चक्र, चांदी का सिक्का और 11 कौड़ियां बांधकर 108 बार श्रीं लक्ष्मी नारायणाय नमः मंत्र का जाप करें। इसके बाद इन सब को धन के स्थान या तिजोरी में रख दें। इससे आपके व्यवसाय में आ रही किसी भी प्रकार की बाधा दूर हो जाती है।
नकारात्मक ऊर्जा दूर करने
काली चौदस की पूजा के समय लौंग का जोड़ा काली माता के चरणों में अर्पित करें। इस उपाय को करने से साधक के अंदर उपस्थित सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है। साथ ही मां काली को चने की दाल और गुड़ का भोग अवश्य लगाएं।
इस मंत्र का जाप करें
ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा।
काली चौदस की पूजा के समय माँ काली का ध्यान करते हुए इस मंत्र का जाप अवश्य करें। यह काली माता का बीज मंत्र है। इस का कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए। इससे शत्रुओं का नाश होता है।
काली चौदस की रात्रि को एक पीले कपड़े में हल्दी, 11 गोमती चक्र, चांदी का सिक्का और 11 कौड़ियां बांधकर 108 बार श्रीं लक्ष्मी नारायणाय नमः मंत्र का जाप करें। इसके बाद इन सब को धन के स्थान या तिजोरी में रख दें। इससे आपके व्यवसाय में आ रही किसी भी प्रकार की बाधा दूर हो जाती है।
नकारात्मक ऊर्जा दूर करने
काली चौदस की पूजा के समय लौंग का जोड़ा काली माता के चरणों में अर्पित करें। इस उपाय को करने से साधक के अंदर उपस्थित सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है। साथ ही मां काली को चने की दाल और गुड़ का भोग अवश्य लगाएं।
इस मंत्र का जाप करें
ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा।
काली चौदस की पूजा के समय माँ काली का ध्यान करते हुए इस मंत्र का जाप अवश्य करें। यह काली माता का बीज मंत्र है। इस का कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए। इससे शत्रुओं का नाश होता है।
हनुमान पूजा मुहूर्त
हनुमानजी की पूजा कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी या नर्क चतुर्दशी को रात्रि के प्रहर में की जाती है।
हनुमानजी की पूजा कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी या नर्क चतुर्दशी को रात्रि के प्रहर में की जाती है।
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नरक चतुर्दशी पूजा-विधि
- नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करके साफ कपड़े पहन लें,
- नरक चतुर्दशी के दिन यमराज, श्रीकृष्ण, काली माता, भगवान शिव, हनुमानजी और विष्णुजी के वामन रूप की विशेष पूजा की जाती है,
- घर के ईशान कोण में इन सभी देवी-देवताओं की प्रतिमा या चित्र स्थापित करके विधि-पूर्वक पूजन करें,
- देवताओं के सामने धूप दीप जलाएं, कुमकुम का तिलक लगाएं और मंत्रों का जाप करें।
नरक चतुर्दशी से जुड़ी मान्यता
नरक चतुर्दशी के दिन यम देवता का पूजन अकाल मृत्यु से मुक्ति के लिए किया जाता है। वहीं, पौराणिक मान्यताएं एवं अनेक पौराणिक कथाएं हैं, जिनमें सबसे प्रचलित कथा भगवान श्रीकृष्ण से संबंधित है। कथा के अनुसार, नरकासुर देवताओं और ऋषि मुनियों सभी को बहुत अधिक पीड़ित करता था। कार्तिक चतुर्दशी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने अत्याचारी राक्षस नरकासुर का वध किया और सभी को भयमुक्त किया, 16 हजार 100 कन्याओं को उसकी कैद से मुक्त करा कर उन्हें सम्मान दिलाया। इससे सभी को एक नया जीवन मिला और इसके बाद से नई पहचान प्राप्त करने से स्वयं को संवारने के परंपरा शुरू हुई। इस दिन उबटन लगाकर स्नान किया जाता है, इसलिए इसे रूप चौदस भी कहा जाता है।
नरक चतुर्दशी के उपाय
- नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के नाम से दीपक जलाएं और इसे दक्षिण दिशा में रखें। मान्यता है कि यम के नाम का यह दीपक जलाने से पाप नष्ट होते हैं,
- दक्षिण दिशा पितरों की दिशा मानी जाती है। ऐसे में इस दिशा में दीपक जलाने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है,
- साथ ही नरक चतुर्दशी के दिन अपने घर के बाहर भी कम से कम 5 या 7 दीपक जलाएं।
- नरक चतुर्दशी के दिन यमराज, श्रीकृष्ण, काली माता, भगवान शिव, हनुमानजी और विष्णुजी के वामन रूप की विशेष पूजा की जाती है,
- घर के ईशान कोण में इन सभी देवी-देवताओं की प्रतिमा या चित्र स्थापित करके विधि-पूर्वक पूजन करें,
- देवताओं के सामने धूप दीप जलाएं, कुमकुम का तिलक लगाएं और मंत्रों का जाप करें।
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नरक चतुर्दशी के उपाय
- नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के नाम से दीपक जलाएं और इसे दक्षिण दिशा में रखें। मान्यता है कि यम के नाम का यह दीपक जलाने से पाप नष्ट होते हैं,
- दक्षिण दिशा पितरों की दिशा मानी जाती है। ऐसे में इस दिशा में दीपक जलाने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है,
- साथ ही नरक चतुर्दशी के दिन अपने घर के बाहर भी कम से कम 5 या 7 दीपक जलाएं।
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